अगर Apurva Movie Review की बात की जाय तो आपको वाकई खून खराबे भरी ‘स्लैशर’ फिल्में या ‘एनएच 10’ जैसी रोड मूवी फिल्में पसंद हैं तो फिल्म Apurva’ आपके लिए इस हफ्ते की फिल्म है। निर्माता मुराद खेतानी और स्टार स्टूडियोज ने निर्देशक निखिल नागेश भट्ट को एक ऐसी फिल्म बनाने का मौका दिया है, जिसके लिए मुंबई के आम फिल्म निर्माता शायद ही तैयार हों। निखिल ने निर्माता, निर्देशक अनुराग कश्यप की शागिर्दी में लंबा वक्त गुजारा है। फिल्म ‘सालन’ से उनका डेब्यू हुआ और उनकी पिछली फिल्म ‘हुड़दंग’ अपने कलाकारों के औसत से कमतर प्रदर्शन के चलते किसी को याद भी नहीं होगी। लेकिन, निखिल के लिए ये फिल्म उनकी पहली ठोस पहचान बना सकती है।
एक लड़की – वह गलत समय पर गलत जगह पर होती है – को चंबल ब्रिगेड के एक बैंड द्वारा आगरा जाने वाली बस से बाहर खींच लिया जाता है और बंदी बना लिया जाता है। वह बेहोशी की हालत में है और शिकारियों की दया पर है। मदद मीलों दूर है। अराजक बीहड़ों में, पुलिस उनकी अनुपस्थिति से स्पष्ट है। हालांकि, यह वह जगह नहीं है जहां निखिल नागेश भट्ट की अपूर्वा, डिज्नी + हॉटस्टार पर स्ट्रीमिंग शुरू होती है। पहली चीज जो प्रभावशाली रूप से स्प्रि और बिना समझौता किए की गई है, वह है स्पष्ट रूप से स्थापित करना।
सच्ची घटनाओं से प्रेरित, लेखक-निर्देशक निखिल नागेश भट की अपूर्वा एक युवा महिला की कष्टदायक यात्रा की कहानी है, जो खतरनाक चंबल घाटी के बीच में भी अपने अपहरणकर्ताओं को सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए आंतरिक शक्ति पाती है। ड्रामा फिल्म में कई दिल थाम देने वाले क्षण हैं जो आसानी से हल हो जाते हैं और भले ही हम जानते हैं कि अपूर्वा के लिए खतरा आगे है, अंत एक सकारात्मक परिणाम का वादा करता है।
Apurva Movie Review,Raj Pal Yadav :
लोक, जहां अंत में उसके राक्षसी पक्ष का मानवीकरण किया गया था, वह यहां सभी काला है। राजपाल यादव ने फ़र्स्टपोस्ट को दिए एक इंटरव्यू में अपने किरदार को एक ऐसा शख्स बताया जो बुरा तो है लेकिन बहुत संयमित भी है. किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जिसे दुर्भाग्य से एक हास्य अभिनेता के रूप में लेबल किया गया है, यह भूमिका ताजी हवा की सांस के रूप में आती है। यह उनकी फिल्म ‘जंगल’ की तरह ठोस नहीं है, लेकिन उन्हें एक ऐसे प्रदर्शन से निपटना पड़ता है, जहां उन्हें उन लोगों की सेना द्वारा पीटा नहीं जा रहा है, जिन्हें हम ज्यादातर प्रियदर्शन कॉमेडी में देखते हैं।
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फिल्म ‘अपूर्वा’ एक तरह से देखा जाए तो राजपाल यादव की फिल्म है। फिल्म ‘जंगल’ का सिप्पा अगर आपको याद हो तो समझा जा सकता है कि राजपाल की अभिनय क्षमता का पूरा इस्तेमाल हिंदी सिनेमा में कम ही हुआ है। अधिकतर फिल्मों में एक कार्टून टाइप का कॉमेडी कलाकार बना दिए जाने वाले राजपाल ने यहां खूंखार और क्रूर लुटेरों के गैंग लीडर का किरदार निभाया है। गाड़ी को साइड न देने पर आगे वाली गाड़ी को ओवरटेक कर ड्राइवर को गोली मार देने के किस्से उत्तर भारत में आम हैं। लेकिन, जिस तरह से राजपाल का किरदार जुगून भैया यहां बस के सहायक को मारता है और इस दौरान राजपाल के चेहरे पर जिस तरह के भाव रहते हैं, वे देखने लायक है। कुछ कुछ छोटा गब्बर जैसा है उनका किरदार। कम ऊंचाई वाले खलनायकों का परदे पर अपना एक अलग तिलिस्म होता है और ये अगर सिनेमा के मौजूदा दौर के निर्देशक, निर्माता समझ पाए तो राजपाल यादव के लिए यहां से हिंदी सिनेमा में एक नई पारी शुरू हो सकती है।
Apurva Star Cast :
कलाकार – तारा सुतारिया , राजपाल यादव , अभिषेक बनर्जी , सुमित गुलाटी
, आदित्य गुप्ता और धैर्य करवा आदि
लेखक – निखिल नागेश भट्ट
निर्देशक – निखिल नागेश भट्ट
निर्माता – मुराद खेतानी और स्टार स्टूडियोज
ओटीटी – डिज्नी प्लस हॉटस्टार
रिलीज – 15 नवंबर 2023
Apurva Movie Ratings :
- Times Now – 2.5*
- NDTV – 2.5*
- Rediff.com – 2.0*
- English Jagran – 3.5*
- Amar Ujala – 3.0*
- E Times – 3.5*
- IMDb – 7.9*
- Free Press Journal – 2.0*
Apurva Movie Critique Review :
जुगनू भैया बनकर राजपाल ने दिखाई अभिनय की नई रोशनी, रात के अंधेरे में रोशन हुईं तारा ,एक घंटे और 45 मिनट के रनिंग टाइम वाली इस फीचर फिल्म में एक तेज कहानी है, साथ ही हिंसा से भरे कई एक्शन सीक्वेंस भी हैं। फिल्म की शुरुआत में, एक परेशान करने वाला अर्थ यह भी है कि गिरोह एक अन्य फिल्म कबीर सिंह की स्क्रीनिंग के बाद अपहरण के लिए प्रेरित होता है।गैंग और अपूर्वा के बीच आंतरिक लड़ाई में, हम जानते हैं कि हम किसका समर्थन कर रहे हैं, लेकिन फिल्म अपूर्व के सुपरहीरो मोड के निर्माण के माध्यम से बहुत कुछ नहीं करती है। कुल मिलाकर, अपूर्वा एक औसत थ्रिलर है जिसे एक मजबूत लीड प्रदर्शन की आवश्यकता थी।परिदृश्य की बंजरता, एक सूखा और धूल भरा क्षेत्र जिसमें शिकारी कुत्तों के झुंड द्वारा पीछा किए गए एक दर्दनाक कुत्ते के लिए छिपने की कोई जगह नहीं है। वायुमंडलीय तनाव और भयानक चेहरों की निकटता यहां भी दिखाई देती है। किसी भी उत्तरजीविता थ्रिलर के लिए मूल घटक तात्कालिकता की भावना है, जो यहां छिटपुट रूप से मौजूद है। अभिषेक बनर्जी अपने किरदार में आकर्षण और ठंडे खून के साथ नजर आते हैं। पाताल के हथौड़ा त्यागी के विपरीत
Apurva Movie Director :
निखिल नागेश भट्ट ने फिल्म ‘अपूर्वा’ की कहानी कोई 14 साल पहले लिखी थी और एक तरह से ये उनका वनवास खत्म करने वाली फिल्म भी है। कहानी सिर्फ इतनी सी ही है कि शादी तय हो जाने के बाद एक युवती अपने प्रेमी के वर्क सिटी जाकर उसके जन्मदिन पर सरप्राइज देना चाहती है, लेकिन रास्ते में ही उसका अपहरण हो जाता है। एक पूरी रात वह कैसे इन खूनी हमलावरों से बचने की कोशिशें करती है, इसी पर पूरी फिल्म बनी है। निखिल ने कमाल इसकी पटकथा लिखने में किया है। एक बहुत ही छोटी सी कहानी पर कोई पौने दो घंटे की फिल्म बनाने में उन्होंने अपनी सारी सिनेमाई सीख का इस्तेमाल कर लिया है। लोकेशन एक ही है, कलाकार भी पहले से तय हैं और कहानी के अंत का भी दर्शकों को आभास हो ही जाता है लेकिन इस सबके बावजूद ये उनकी पटकथा ही है जो कम से कम संवादों के जरिये सिर्फ अपनी दृश्यावलियों के सहारे दर्शकों के मन में रहस्य, रोमांच और डर पैदा करती रहती है। निखिल का निर्देशन भी यहां काबिले तारीफ है और वह इसलिए कि उनके पास राजपाल यादव को छोड़कर दूसरा कोई सिद्धहस्त कलाकार नहीं है। फिल्म का पूरा भूगोल, कैमरे का संचालन, दृश्य प्रकाश संयोजन की जो परिकल्पना निखिल ने अधिकतर एक रात में बीतती फिल्म के लिए की है, उस पर सिनेमा के सुधी निर्माताओं का ध्यान अब जाना ही है।